ना मालूम क्यों
बैठजाता हु
मिट्टी के
बिछोने पर
अक्सर में
ना मालूम क्यों
सौंधी खुशबू
मिट्टी की
भाती है
मेरे मन को
मेरे मन को
ना मालूम क्यों
ये मिट्टी
लगे अपनीसी
कोई कहे लाल तो
कोई कहे काली
कोई कहे उपजाऊ तो
कोई कहे अनमोल
कोई कहे सोना तो
कोई कहे चांदी
मिट्टी फिरभी मिट्टी है
मिट्टी फिरभी मिट्टी है
सुनो कान लगाकर
तुम मिट्टी में
भीतर है अनसुलझे रहस्य
संयम है मिट्टी में
वाणी है मिट्टी में
संगीत है मिट्टी में
जल है मिट्टी में
होनी अनहोनी है मिट्टी में
ये मिट्टी तो आधार है
इस जीवन का
हर किसान आश्रित है मिट्टी पे
हर खेत की वो जान है
खेत सूखते है तो वो रोती है
फसल लहराती है तो वो हस्ती है
शान है वो मेरे गांव की
जोड़े रखती है वो मुझे गांव से
महिमा मिट्टी की
मिट्टी ही जाने
ये संसार मिट्टी का
ये शरीर मिट्टी का
ये मन भी मिट्टी का
तू गूरूर मत कर इतना
इस मिट्टी को एक दिन
मिट्टी में जाना है
मिट्टी ही जाने
ये संसार मिट्टी का
ये शरीर मिट्टी का
ये मन भी मिट्टी का
तू गूरूर मत कर इतना
इस मिट्टी को एक दिन
मिट्टी में जाना है
achchi kavita
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