मुन्ना-मुन्नी खोल रहे हैं।
अंदर देखा, चकला-बेलन,
चाकू-छलनी बोल रहे हैं।
मैं चाकू, सब्जी-फल काटू,
टुकड़ा-टुकड़ा सबको बाँटू।
गाजर-मूली प्याज-टमाटर,
छीलो काटो रखो सजाकर।
गोल चाँद-सी हूँ मैं थाली,
बज सकती हूँ बनकर ताली।
मुझमें रोटी-सब्ज़ी डाली,
और सभी ने झटपट खा ली।
***मधु पंत***
काव्यांशों की व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ NCERT Book रिमझिम, भाग-1 से ली गयी है कविता का शीर्षक है "रसोईघर" . इस कविता के माध्यम से कवयित्री बड़े ही रोचक शब्दों में रसोईघर की चीजों का वर्णन कर रही हैं। खेलते हुए मुन्ना मुन्नी जब रसोईघर की खिड़की को खोलकर देखते हैं तो पाते हैं कि अंदर चकला-बेलन, चाकू-छलनी आदि बातें कर रहे हैं। चाकू कहता है कि मैं फल और सब्ज़ियाँ काटता हूँ और टुकड़े टुकड़े करके सभी को बाँटता हूँ। गाजर-मूली, प्याज-टमाटर आदि को मैं काटता तथा छीलता हूँ और लोग इसे सजाकर रखते हैं। थाली कहती है कि मेरा आकार गोल चौड़ा-सा है और मैं ताली की तरह बज भी सकती हूँ। मुझमें रोटी-सब्ज़ी डालकर सब झटपट खाते हैं।
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