दोस्ती साथ है तो किसका डर है
दोस्त है तो यह जहाँभी सुन्दर
है
दुश्मन तो कई है हमारे
डर है दोस्त ना रूठ जाये
निभाए दोस्ती ऐसी की
मुश्किल लगे दुनिया छोडना
साथ हो, तो ऐसा दोस्ती का
वक्त के ना आगे हम है
न वक्त हमारे साथ है
वक्त तो वक्त है
अच्छा क्या ख़राब क्या
ख़ुशी में कम तो
गम में ये लम्बा है
ख़ुश रहो तुम
बदलते वक्त के साथ
वक्त का साथ हो, तो ऐसा
उम्र साथ न दे
रिश्ते निभा ना पाए
पूण्य-पाप साथ ना दे
शरीर छूट जाये
कोई गम नहीं
ना छुटे तो धर्म का साथ
ना छुटे तो साधर्मी का साथ
ना छुटे तो जिनवाणी का साथ
ना छुटे तो सच्चे गुरु का साथ
लौ लगाई मन में जो धर्म की
जन्म-मरण के सागर से तर जाये
मेरा ये मनुष्य भव सफल हो जाये
धर्म का साथ हो, तो ऐसा