Tuesday, 5 May 2020

कोरोना से डरो ना



कोरोना से डरो ना
Corona Nine in Saharanpur four more in Bulandshahr - कोरोना ... 
सभी जगह एक ही बात कोरोना कोरोना

स्कूल की होगई छूटी छूटी डरो ना डरो ना
कोरोना से नहीं होना है भयभीत भयभीत डरो ना डरो ना
कोरोना कोरोना  डरो ना डरो ना
कोरोना से डरो ना डरो ना (2)

घर में ही मजे करोना करोना डरो ना डरो ना
हाथ को सोप से धोए धोए  डरो ना डरो ना
गन्दगी से दूर रहो रहो डरो ना डरो ना
कोरोना कोरोना  डरो ना डरो ना
कोरोना से डरो ना डरो ना (2)

हाथ ना हम मिलाए कुछ हफ्ते  डरो ना डरो ना
बाहर ना हम घूमे घूमे डरो ना डरो ना
भीड़ से हम दूर रहे रहे डरो ना डरो ना
कोरोना कोरोना  डरो ना डरो ना
कोरोना से डरो ना डरो ना (2)

मास्क से मुंह को ढंको ढंको डरो ना डरो ना
चंद दिनों की है बात
सोशल डिस्टेंसिंग करो पालन पालन  डरो ना डरो ना
कोरोना कोरोना  डरो ना डरो ना
कोरोना से डरो ना डरो ना (2)

अपनाओ लॉकडाउन का फंडा डरो ना डरो ना
घर पर रहने का करो अभ्यास डरो ना डरो ना
करो नई चीज़ों का प्रयास डरो ना डरो ना
घर पर रहने में ही है तुम्हारी शान डरो ना डरो ना
कोरोना कोरोना  डरो ना डरो ना
कोरोना से डरो ना डरो ना (2)

Tuesday, 14 March 2017

संत खेले होली मधुवन में

संत खेले होली सघन वन में
अकेले वन में, मधुवन में
आज मची है धूम रंगों की
लगे उत्सव ये रंगों का
इस सघन वन में,मधुवन में

वे बसते है चैतन्य गुफा में
वे रम जाते है अपने में
वे धारण करते है अनन्त गुणों को
रामायो वन में एक ध्यान
आतम राम का
इस सघन वन में,मधुवन में

त्यागा सब घर बार
त्यागे तुमने सब राग-द्वेष
पिघला अहंकार और क्रोध
भागे वैर-विरोध हृदय से
पलायन हुए सब वैरी कर्म
सरल होगया मन का व्यवहार
रम गए तुम आत्म स्वरुप में
इस सघन वन में,मधुवन में

वे रमावे शाश्वत की धुनी
वे रम जावे शाश्वत के आनंद में
ये शाश्वत का धाम है अनूठा
ये शाश्वत का रस है अनूठा
इस रस में वे रम जावे
लौ जलाई चिंतन की ज्वलंत
इस आतम तत्व में
इस सघन वन में,मधुवन में

टल जाती है चार गति
के अनन्त पीड़ा
जब ध्याय आत्मस्वरूप को
बंद हो जाये पुण्य-पाप
चैतन्य गुफा में जब आय
चहिये पूर्ण दशा इस चेतन को
वे रम जाए इस अति आनंद में
ऐसी निर्मल भावना भाई
इस सघन वन में,मधुवन में

में वंदन करता हु बार बार
उनके चरणों में
भावना भाते है हम भी ऐसी
पार लगाये इस भव से
इस सघन वन में,मधुवन में



Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

  "जिनशासनाष्टक" रत्नात्रयमय जिनशासन ही महावीर का शासन है। क्या चिंता अध्रुव की तुझको, ध्रुव तेरा सिंहासन है ।।टेक॥ द्रव्यदृष्टि स...