Saturday, 13 February 2021

NCERT Chapter 1 - झूला

 झूला


अम्मा आज लगा दे झूला,
इस झूले पर मैं झूलूंगा।
उस पर चढ़कर, ऊपर बढ़कर,
आसमान को मैं छू लूंगा।

झूला झूल रही है डाली,
झूल रहा है पत्ता-पत्ता।
इस झूले पर बड़ा मज़ा है,
चल दिल्ली, ले चल कलकत्ता।

झूल रही नीचे की धरती,
उड़े चले, उड़े चल,
उड़ चल, उडु चल।
बरस रहा हैं रिमझिम, रिमझिम,
उड़कर मैं लूटू दल-बादल। 

कविता का सारांश

इस कविता के माध्यम से कवि ने बताया की एक बच्चा है जो अपनी माँ से झूला लगवाने का आग्रह करता है. इस कविता का नाम है  'झूला', कवि एक बच्चे की जो कोमल भावना है उसको मार्मिक तरीके से व्यक्त कर रहा है.

उपरोक्त पंक्तियों में, एक बच्चा अपनी माँ से अपने लिए झूलने के लिए कह रहा है। बच्चा अपनी मां से उसके लिए एक झूला लगाने के लिए कह रहा है ताकि वह उस पर चढ़ सके और उठकर आसमान को छू सके।

कवि आगे की पंक्तियों में कहता है कि पेड़-पौधों की डालियाँ झूले के साथ झूल रही हैं। पत्ते-पत्ते तक झूल रहे हैं। बच्चा सोचता है कि इस झूले पर झूलने में कितने मजे हैं। झूले पर बैठकर झूलते हुए वह कल्पना-लोक में कभी दिल्ली तो कभी कलकत्ता की सैर कर आता है। इस वजह से वह अम्मा को कहता है एक झूला लगवा दो।  

झूले में झुलते बच्चे को ऐसा लग रहा है, की जैसा उसका झूला झुल रही है उसके साथ-साथ नीचे की धरती भी झूला झुल रही है। उसी समय रिमझिम-रिमझिम वर्षा भी हो रही है। झूले पर बैठे बच्चे के मन में आसमान पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों के दल को लूटने के विचार आ रहे हैं।

 

Friday, 12 February 2021

Class 1 - भगदड़ Poem

 भगदड़


बुढ़िया चला रही थी चक्की,
पूरे साठ वर्ष की पक्की।
दोने में थी रखी मिठाई,
उस पर उड़कर मक्खी आई।

बुढिया बाँस उठाकर दौड़ी,
बिल्ली खाने लगी पकौड़ी।

झपटी बुढ़िया घर के अंदर,
कुत्ता भागा रोटी लेकर।
बुढिया तब फिर निकली बाहर,
बकरा घुसा तुरंत ही भीतर।

बुढ़िया चली, गिर गया मटका,
तब तक वह बकरा भी सटका।
बुढ़िया बैठ गई तब थककर,
सौंप दिया बिल्ली को ही घर।

***पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी***

कविता का सारांश

प्रस्तुत कविता ‘भगदड़’ के कवि पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी हैं। ये कविता बहुत ही मार्मिक है इस कविता में एक बुढ़िया की व्यथा का चित्रण किया है. एक घर में एक बुढ़िया रहती थी उसकी उम्र साठ वर्ष की थी वो परेशान थी घर के जीव-जंतुओं से. 

कवि कहता है कि बुढिया घर में राखी चक्की चला रही थी, उसके घर में दोने में रखी मिठाई थी जब बुढिया चक्की चला रही थी तभी दोने में रखी मिठाई पर मक्खी आकर बैठ गई। बुढ़िया ने मक्खी को देखा और जैसे ही बाँस उठाकर मक्खी को भगाने के लिए दौड़ी, तभी कही से बिल्ली आजाती है और वह पकौड़े खाने लगी।
बुढिया ने जैसे ही घर के अंदर बिल्ली को देखा तो उसको भगाने के लिए झपटी, तभी उसी समय कुत्ता रोटी लेकर भाग गया।

यह देख बुढिया बाहर निकली, तो बकरा तुरंत ही घर के अंदर घुस गया। बुढिया बकरे को भगाने के लिए उसकी तरफ भागी तो वह मटके से जा टकराई।  जिससे मटका गिर गया। जैसे ही मटका गिरा उसकी आवाज से बकरा भाग खड़ा हुआ। तब बुढ़िया थककर बैठ गई और बिल्ली को ही पूरा घर सौंप दिया। 

Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

  "जिनशासनाष्टक" रत्नात्रयमय जिनशासन ही महावीर का शासन है। क्या चिंता अध्रुव की तुझको, ध्रुव तेरा सिंहासन है ।।टेक॥ द्रव्यदृष्टि स...