जब से आते है सपने
मेने सपनो के बिच घिरा पाया
न जाने कब से
हर रात संजोता हु नव सपना
सपना होता है सबका अपना
वो गुच्छा है भिन्न-भिन्न कल्पनाओ का
सजा हुआ है भाँति-भाँति के रंगों से
ये नींद उड़ देता है आंखों से
सच्चे होते हैं वो सपना
जो तब्दील होजाये लक्ष्य में
सपनो का बना तु एक ढांचा
सपनो को तु दे एक मंजिल
साकार तु कर मंजिलो को
विचार तु कर, मेहनत तु कर
लक्ष्य तु बनाता जा ................
रख सामने तु लक्ष्य को
न डर अंधी से न तूफान से
न डर खतरों से न रुकावट से
न डर जंजाल से न बोली से
न डर हार से न जीत से
न डर तु स्वयं से
बस तु बढ़ते चलाजा..........................
जब तक न मिले लक्ष्य
न पड़ाव है न थखना है
न घबराना है न झुकना है
न विश्वास खोना है
बिछे हुए है काटे राह में
तु खोफ मत खा
तु मेहनत करता जा
तु बढ़ता चलाजा लक्ष्य की और
पुरे होंगे सपने तेरे
मिलेगी ही मिलेगी कामयाबी
कदम चूमेगी सफलता तेरी
नव पहिचान मिलेगी जीवन को
किस्मत भी देगी तेरा साथ
ईश्वर भी होगा तेरे साथ
तू ले हाथ में मशाल
तु बढे चल लक्ष्य की और
लक्ष्य होगा पुरा आज नहीं तो कल
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