बंदर गया खेत में भाग
बंदर गया खेत में भाग,
चुट्टर-मुट्टर तोड़ा साग।
आग जलाकर चट्टर-मट्टर,
साग पकाया खद्दर-बद्दर।
सापड़-सूपड़ खाया खूब,
पोंछा मुँह उखाड़कर दूब।
चलनी बिछा, ओढ़कर सूप,
डटकर सोए बंदर भूप।
*** सत्यप्रकाश कुलश्रेष्ठ***
काव्यांशों की व्याख्या
प्रस्तुत पंक्तियाँ NCERT Book रिमझिम, भाग-1 से ली गयी है कविता का शीर्षक है 'बंदर गया खेत में भाग’। इस
कविता में उन्होंने एक बंदर के क्रियाकलापों का बड़े ही रोचक ढंग से वर्णन
किया है। एक बंदर एक साग के खेत में गया और ढेर सारा साग तोड़ा। फिर उसने
आग जलाकर साग पकाया और उसे सापड़-सूपड़ करके खूब मज़े से खाया। उसके बाद
उसने दूब उखाड़कर अपना मुँह पोंछा। फिर बंदर राजा चलनी बिछाकर और सूप ओढ़कर
मजे से सो गए।