Tuesday 29 October 2013

सब ठीक है



सब ठीक है

हम सब कहते है की सब ठीक है
क्या ठीक है और क्यों ठीक है
कई सवाल है दिल में
किन्तु समझ न पाया
बाकि सब ठीक है ........

कभी अचानक ईमेल आता
या सहकर्मी बताता है
में चोक जाता पड़कर
प्रोमट कर दिया,
क्योकि योग्यता है
और महत्व है, सब ठीक है…

डोक्टर के पास जाना है
दांत निकल वाने है
डर लगता है
मीटिंग में बोलना है
धुकधुकी लगी है
तो इसका मतलब है
छोटा मोटा डर है, सब ठीक है…

बूढ़े मेदान में घुम रहे है
हाथ में हाथ पकड़ कर
युवाओं के हाथ में बेट है
इंतजार कर रहे है गेंद का
बच्चे खेल रहे हैं गुली डंडा
फिलाल सब ठीक है…..

कब आयेगा दोस्त मेरा
कब में क्रिकेट खेलूँगा
कब में प्लान बनाऊंगा 
कब जाऊंगा फिल्म
कब तो घर आऊंगा
कब में सोऊंगा, सब ठीक है

जीवन की आप धापी में
कब समय निकल गया
बुढ़ापा मानो दम भर रहा है
बीमारी ने शरीर को केद कर लिया हो 
मोत मुह खोले खाड़ी है
सिवाए इंतजार के, सब ठीक है

क्यों नहीं सोचते है स्व का
क्यों भिन्न नहीं कर पाते है पर से
क्यों मानते है शरीर को अपना
शरीर तो मिटी है,
मिटी में मिल जायेगा
तु तो सिर्फ आत्मा मात्र ही है
खुद को पहचान, सब ठीक है

क्या बदला !



क्या बदला !

आख का रंग बदला 
होटो की लाली बदल गई
बात करने का तरीका बदला
चेहरे का हावभाव बदल गया
लोग क्या ना करते
फैशन के लिए
बदला तो बदला क्या
हुलिया ही बदल गया

रोज मर्रा की जिंदगी में
कई बदलाव हम ने देखा
मानो इन्सान पिस रहा हैं
महंगाई घटी न तिल भर
कभी पेट्रोल के
तो कभी डीजल के दाम बढ़ रहे है
शुल्क के नियम बदल रहे है
क्यों अत्याचार बढ़ रहा है
क्यों आमा आदमी त्रस्त हो गया है  
बदला तो बदला क्या
जीवन के मायने बदल गए है

बहुत दुःख का विषय है
आज का व्यक्ति बदल सा गया है
भूल गया गाव की गलियों को
और वहा की मिट्ठी की खुशबु को
आदर व भाई चारे को
गाव अब सुना सुना सा रह गया है
संस्कार बचे ही नही
सब गायब सा हो गया है
बदला तो बदला क्या
संस्कृति बदल गई है

मानो या न मानो इन के पीछे
कही न कही हम सब ही तो है
बड़ी बड़ी डींगे हम ने हाकी
शहर की सुविधा की
हम ने दूर किया बच्चो को
ये बिज हम ने ही तो बोया है
पैसे के खातिर
बदला तो बदला क्या
रिश्ते बदल गए है

बचपन बदला
जवानी आगई
बुढ़ापा इंतजार कर रहा है
मोत की शैया बिछी हुई है
बदला तो बदला क्या
समय बदला

व्यक्ति बदला

व्यक्ति का रंग ढंग बदला

व्यक्ति की फितरत बदली

व्यक्ति की सोच बदल गई

सब कुछ बदला

किन्तु धर्म नहीं बदला

 धर्म न बदल है और न बदलेगा
धर्म का वर्चस्व हमेशा रहेगा

जैन



जैन


हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे कभी

क्या जान पायेंगे

क्या यह सभी समस्याएं है

आओ विचारें करे हम सब

 

हम आर्य खण्ड के निवासी है

हिमालय जैसा विशाल पर्वत

और गंगाजल जैसी पवित्र नदिया है

मन को सुशोभित करने वाली मनोहर प्रकृति है

यहाँ कई धर्मो का समागम है

और कई वर्णों का मेल है

 

 यह मेरा भारत  देश अधिक उत्कर्ष है

संपूर्ण देशॊ से

यह संतो की भूमि है

यही हमारा गौरव है


यह पुण्य भूमि है, जहा पर जैनी रहते है
अनादिकाल से यहाँ जिन-धर्म की परम्परा है
करोड़ो संतो ने मोक्ष पाया है,
इस पवित्र भूमि से

यह जिन-धर्म है जहा पर
अहिंसा को "अहिंसा परमोधर्म" कहा है 
हिंसा को "जन्म-जन्मान्तरो" में दुखोका,
और कर्मबंध का कारण माना

यह जीव सुख को खोज रहा, जाने बिना
यह पागल हाथी के समान, 
मदमस्त भटक रहा है चारो गतियो में
और संसार के दुष्कर्म में फसता चला जारहा है

इस घोर दुखो से निकालने वाला 
अनंत सुख का मार्ग बताने वाला
एक मात्र धर्म "जिन-धर्म" है
यही धर्म शाश्वत एवं सच्चा धर्म है

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत अनुपम हैं



ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत अनुपम हैं

 

 

सूरज का उगना सूरज का ढलना

चाँद का चमकना चाँद का छुपना

 यह द्रश्य मानो मन को अनुपम करता है

उसी तरह जन्म से म्रत्यु और बिच का यह सफ़र

मानो हम से कुछ कहना चाहता हो

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत अनुपम हैं

 

सुख और दुःख जिंदगी के दो रंग है

यह मुठी में उस रेत के समान है

जो हमेशा मुठी से फिसल जाते है

कभी सदा न रहता जिंदगी में सुख 

रहता सदा न जिंदगी में दुःख कभी

कभी खुशिया छलक पड़ती है

कभी गम आसु बनकर बहजाते है 

कभी थोडा तो कभी ज्यादा

मिलता जरुर है प्रयत्नों से         

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत अनुपम हैं

 

सुख का आना, दुःख का जाना

मोंत का आना, हमारे हाथ में तो नहीं है

कभी मोंत के आने का इंतजार करते है

तो कभी मोंत बिन बुलाये धमक पढ़ती है

उस को तो बस आना है, आना है ................

ऐ जिंदगी तेरा सफर भी बहुत अनुपम हैं

 

क्यों तु भूल जाता है

यह सफर न मेरा है न तेरा है

यह सफर तो सिर्फ उस शरीर का है

जिस को हम ने अपना माना है

तु पहचान खुद को क्यों भूल जाता है

तु सिर्फ एक मात्र आत्मा ही तो है

शायद इसलिए ऐ जिंदगी तेरा सफर बहुत प्यारा हैं

Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

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