Tuesday 29 October 2013

क्या बदला !



क्या बदला !

आख का रंग बदला 
होटो की लाली बदल गई
बात करने का तरीका बदला
चेहरे का हावभाव बदल गया
लोग क्या ना करते
फैशन के लिए
बदला तो बदला क्या
हुलिया ही बदल गया

रोज मर्रा की जिंदगी में
कई बदलाव हम ने देखा
मानो इन्सान पिस रहा हैं
महंगाई घटी न तिल भर
कभी पेट्रोल के
तो कभी डीजल के दाम बढ़ रहे है
शुल्क के नियम बदल रहे है
क्यों अत्याचार बढ़ रहा है
क्यों आमा आदमी त्रस्त हो गया है  
बदला तो बदला क्या
जीवन के मायने बदल गए है

बहुत दुःख का विषय है
आज का व्यक्ति बदल सा गया है
भूल गया गाव की गलियों को
और वहा की मिट्ठी की खुशबु को
आदर व भाई चारे को
गाव अब सुना सुना सा रह गया है
संस्कार बचे ही नही
सब गायब सा हो गया है
बदला तो बदला क्या
संस्कृति बदल गई है

मानो या न मानो इन के पीछे
कही न कही हम सब ही तो है
बड़ी बड़ी डींगे हम ने हाकी
शहर की सुविधा की
हम ने दूर किया बच्चो को
ये बिज हम ने ही तो बोया है
पैसे के खातिर
बदला तो बदला क्या
रिश्ते बदल गए है

बचपन बदला
जवानी आगई
बुढ़ापा इंतजार कर रहा है
मोत की शैया बिछी हुई है
बदला तो बदला क्या
समय बदला

व्यक्ति बदला

व्यक्ति का रंग ढंग बदला

व्यक्ति की फितरत बदली

व्यक्ति की सोच बदल गई

सब कुछ बदला

किन्तु धर्म नहीं बदला

 धर्म न बदल है और न बदलेगा
धर्म का वर्चस्व हमेशा रहेगा

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