Tuesday, 29 October 2013

मेरी माँ



मेरी माँ

 

जब से जाना है माँ को मेने

माँ को हमेशा मेरे पास पाया है 

वो माँ ही तो है

जिस की कोख़ से मेने जन्म लिया

जिस के आचल के साये में

 मेरा बचपन बित गया

और जवान कब हो गया पता ना चला

मेरी माँ, सबसे प्यारी माँ

 

में परीक्षा देता हु रिजल्ट उसका आता है

में मार खाता हु पीड़ा उसे होती है

में गलती करता हु दुखी वह होती है

में खुश होता हु सुखी वह होती है

वो मेरे दुःख-सुख की साथी होती है

मेरी तन्हाई से बेचन हो जाती है

मेरी ख़ामोशी से व्याकुल हो जाती है

वह हर पल मेरे साथ होती है

मेरी माँ, सबसे प्यारी माँ

 

में घर लेट जाता हु तो वह मेरा इन्तजार करती है

में गिर जाता हु तो वह मेरे दर्द से सहम जाती है

में आगे बढ़ता हु तो वह मेरे लिए दुआ मांगती है

में सोता हु तो वह जाग ती है

मुझे परदेश भेज कर वह खुद बहुत रोती है

तवे से गर्म रोटी उतरकर वह मुझे देती है,

खुद ठंडी खाती है

सुई में धागा डालने के लिये,वो मुझे मनाती है

मेरी माँ, सबसे प्यारी माँ

 

वो केसे जाना जाती है

मैं कहाँ हूँ ग़लत और मैं कहाँ हूँ सही

धर्मं के संस्कार भी हमें माँ ही देती है

वह ही तो हमारे जीवन की प्रथम पाठशाला

और वह ही सबसे अच्छी दोस्त होती है

फूल की एक बार खुशबू जा सकती है

माँ के होने की खुशबू जीवन भर रहती है

तेरे प्यार को में कबि न भूल पाऊं

मेरी माँ, सबसे प्यारी माँ

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