Tuesday, 29 October 2013

मेरा सपना



मेरा सपना

जब से मेने होश संभाला है
मेने सपनों के बिच घिरा पाया है
न जाने कब से
हर समय नए सपनों को संजोता हु
और बढ़ा चला जा रहा हु
मेने दिल की गहराई से दुआ मांगी है
सपनों के सच होने की

सपना क्या है?
जैसी जैसी रात ढल ती जाती है
सपने अपना रंग दिखाते है
रहस्यमयी दुनिया होती है सपनों की
वो सब दिखा देते है मानो
जिनकी हम ने कल्पना नहीं की थी
हर सपना मानो हम से कुछ कह रहा हो 
कुछ सपने उजाला कर देते है जीवन में
तो कुछ ढकेल देते अंधरी खाई में
जीवन एक स्वप्न है और मृत्यु गहरी नींद

मेरा और सपनों का एक अटूट रिश्ता हो जैसे
न वो मुझे छोडना चाहता है
और ना में उसे छोडना चाहता हु
वक्त का पहिया बढ़ता जा रहा है
जिन्दगी मानो आदि गुजर गई
इन सपनों को पूरा करने में

कही देर न हो जाये
सपनो की दुनिया से बाहर निकल ने में
इस मतलबी दुनिया में मेरा शिकार न  हो जाये
कहीं इन  जैसा   ही    बन  जाऊ में  ..................
कहीं इन  जैसा ही    बन  जाऊ में  ..................

No comments:

Post a Comment

Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

  "जिनशासनाष्टक" रत्नात्रयमय जिनशासन ही महावीर का शासन है। क्या चिंता अध्रुव की तुझको, ध्रुव तेरा सिंहासन है ।।टेक॥ द्रव्यदृष्टि स...