Tuesday 29 October 2013

भगवान तो छुट्टी पर है




उथल पुथल मचगी संसार माह
निर्धन तबाह होगए, आमिर आबाद होगए
बजार होगया महंगा, कोई चीज न मिली सस्ती
असली बचा न कोय, नकली का बोलबाला 
आमिर होगये चोर उचके, ईमानदार मर रहा भूखा
मिलावट की माया देखो, सब पापी हो गए
बेरोजगारी ने सर उठालिया, पढ़े लिखे बेकार फिरे
धर्म के ठेकेदार बन गए पापी, कौन विश्वास केरे
आमिर और आमिर, गरीब और गरीब होगया
हिंसा का बोलबाला है, अधर्म चरम सीमा पर 
मनुष्य दुखी है, भटक रहा है सुख के लिए 
जन्म तो ले लिया, मानव नही बन पाए
मशीनों ने ले ली जगह भगवान की
मानो या ना मानो, बुरे फस गए है 
दुनिया अजब गजब सी होगी 
कहीं भगवान छुट्टी पर तो नहीं है..........

छुट्टी परतो हम है…..
किसी न किसी बहाने से…..
यह भ्रम हम ने पला है
यह सोच हमारी है
चोला बुराई का हम ने पहना है
हम बुरा देख-सुन-बोल रहे है
हमें ही छुट्टी से आना होंगा
हमे बदलना होगा सिस्टम को
हमे मशाल उठानी होगी
हमें चल न होगा सत्य की राह पर
हमे करनी है स्थपना नए युग की
हमे करनी है स्थपना धर्म की…..
भगवान ना कर्ता है, ना धर्ता है
वो तो लीन है अपने स्वरूप में
वो तो केवल ज्ञाता द्रष्टा है
क्यों की भगवान छुट्टी पर होते नहीं ......

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