मै कौन हूँ??
मै भी भीड़ का एक हिस्सा हूँ......
मेरी कोई हस्ती नही है..
दुनिया के दिल में
मेरी कोई बस्ती नही है..
अकेले आये थे दुनिया में..
अकेले ही चले जायेंगे..
रोते हुए आये थे यहाँ..
और सबको रुलाकर कर चले जायेंगे..
इस दुनिया के साथ बस
चलते जा रहा हूँ ..
ना आगे देखा ना पीछे देखा..
बस भटकते जा रहा हूँ..
बोहोत मुश्किल सवाल है ..
मै कौन हूँ??
दिल में उलझता सवाल है ..
मै कौन हूँ??
जवाब किसी को ना मिला है
ना मिलेगा ..
कोई कहा से आया है कहा जायेगा
कुछ पता ना चलेगा …
और मिटटी से बना ये शरीर
मिटटी में ही मिल जायेगा …
तब भी यही सवाल दिल में आयेगा ..
मै कौन हूँ?? ……2……
यह जानना जरुरी है की
मे "मै ही हु" और अपने मे सब कुछ हु
मे पर से भिन्न हु
एसा यह आत्मा मात्र आत्मा हु
और कुछ नहीं
तो बताओ मै कौन हूँ??
मे भगवान आत्मा हु
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