Tuesday, 29 October 2013

भगवान क्या कुछ देता है



भगवान क्या कुछ देता है


छोटी सी है तमन्ना मेरी मेरा काम करा दे
अगली क्लास दिला दे मुझ को पास करा दे
बैंक से लोन दिला दे मेरा महल बनवा दे
गर्मी दूर कर दे ए सी का इंतजाम करा दे
सोना चांदी का भाव गिरा दे मुझ को सोना चांदी दिला दे
मेरा प्रमोशन करा दे मुझ को मोटर कार दिला दे
में फेसबुक चला सकु मुझ को इन्टरनेट दिला दे
में चाटिंग कर सकु मुझ को मोबाइल दिला दे
मेरी लाटरी का नंबर लगा दे मुझ को माला मॉल बना दे
मेरे पास न भटके दुखों का साया मुझ को सुखी बना दे
में राज करू मुल्क पर मुझ को डॉन बना दे
मेरे कुछ पल कटे पूजा-आराधना में फिर चाहे मेरी जान लेले
ये महिमा है उस मनुष्य की
जो भिकारी बनकर दर-दर भटक रहा है 
अपनी न समझी पर न जाने
मानो क्यों बहुत खुश हो रहा है 

हे मुर्ख तु क्या जाने भगवान की महिमा
भगवान न कुछ देते है, न लेते है और ना वो कर्ता है
ना तुम्हे शुभ असुभ की बोध है
ना तुम्हे मोहा-राग-देवश की चिंता है 
ना तुम्हे कोई कर्म आते है और ना जाते है 
ना तुम सुख के साथी हो, ना दुःख के साथी हो
ना तुम गलत देखते हो, ना गलत सुनते हो
ना गलत बोलते हो, ना कुछ दे सकते हो  
तुम तो इस संसार के जाल से मुक्त हो गए हो 
तुम तो सिर्फ अपने स्वरूप में ही लीन हो
तुम ने तो जो उपदेश दिया है मोक्ष मार्ग का
जिस को सुनकर और समझ कर
मेने यह निश्चय किया, तुम्हारे सामान बस बनना
और अपनी आत्मा का कल्याण करना

भगवान तो छुट्टी पर है




उथल पुथल मचगी संसार माह
निर्धन तबाह होगए, आमिर आबाद होगए
बजार होगया महंगा, कोई चीज न मिली सस्ती
असली बचा न कोय, नकली का बोलबाला 
आमिर होगये चोर उचके, ईमानदार मर रहा भूखा
मिलावट की माया देखो, सब पापी हो गए
बेरोजगारी ने सर उठालिया, पढ़े लिखे बेकार फिरे
धर्म के ठेकेदार बन गए पापी, कौन विश्वास केरे
आमिर और आमिर, गरीब और गरीब होगया
हिंसा का बोलबाला है, अधर्म चरम सीमा पर 
मनुष्य दुखी है, भटक रहा है सुख के लिए 
जन्म तो ले लिया, मानव नही बन पाए
मशीनों ने ले ली जगह भगवान की
मानो या ना मानो, बुरे फस गए है 
दुनिया अजब गजब सी होगी 
कहीं भगवान छुट्टी पर तो नहीं है..........

छुट्टी परतो हम है…..
किसी न किसी बहाने से…..
यह भ्रम हम ने पला है
यह सोच हमारी है
चोला बुराई का हम ने पहना है
हम बुरा देख-सुन-बोल रहे है
हमें ही छुट्टी से आना होंगा
हमे बदलना होगा सिस्टम को
हमे मशाल उठानी होगी
हमें चल न होगा सत्य की राह पर
हमे करनी है स्थपना नए युग की
हमे करनी है स्थपना धर्म की…..
भगवान ना कर्ता है, ना धर्ता है
वो तो लीन है अपने स्वरूप में
वो तो केवल ज्ञाता द्रष्टा है
क्यों की भगवान छुट्टी पर होते नहीं ......

सब ठीक है



सब ठीक है

हम सब कहते है की सब ठीक है
क्या ठीक है और क्यों ठीक है
कई सवाल है दिल में
किन्तु समझ न पाया
बाकि सब ठीक है ........

कभी अचानक ईमेल आता
या सहकर्मी बताता है
में चोक जाता पड़कर
प्रोमट कर दिया,
क्योकि योग्यता है
और महत्व है, सब ठीक है…

डोक्टर के पास जाना है
दांत निकल वाने है
डर लगता है
मीटिंग में बोलना है
धुकधुकी लगी है
तो इसका मतलब है
छोटा मोटा डर है, सब ठीक है…

बूढ़े मेदान में घुम रहे है
हाथ में हाथ पकड़ कर
युवाओं के हाथ में बेट है
इंतजार कर रहे है गेंद का
बच्चे खेल रहे हैं गुली डंडा
फिलाल सब ठीक है…..

कब आयेगा दोस्त मेरा
कब में क्रिकेट खेलूँगा
कब में प्लान बनाऊंगा 
कब जाऊंगा फिल्म
कब तो घर आऊंगा
कब में सोऊंगा, सब ठीक है

जीवन की आप धापी में
कब समय निकल गया
बुढ़ापा मानो दम भर रहा है
बीमारी ने शरीर को केद कर लिया हो 
मोत मुह खोले खाड़ी है
सिवाए इंतजार के, सब ठीक है

क्यों नहीं सोचते है स्व का
क्यों भिन्न नहीं कर पाते है पर से
क्यों मानते है शरीर को अपना
शरीर तो मिटी है,
मिटी में मिल जायेगा
तु तो सिर्फ आत्मा मात्र ही है
खुद को पहचान, सब ठीक है

क्या बदला !



क्या बदला !

आख का रंग बदला 
होटो की लाली बदल गई
बात करने का तरीका बदला
चेहरे का हावभाव बदल गया
लोग क्या ना करते
फैशन के लिए
बदला तो बदला क्या
हुलिया ही बदल गया

रोज मर्रा की जिंदगी में
कई बदलाव हम ने देखा
मानो इन्सान पिस रहा हैं
महंगाई घटी न तिल भर
कभी पेट्रोल के
तो कभी डीजल के दाम बढ़ रहे है
शुल्क के नियम बदल रहे है
क्यों अत्याचार बढ़ रहा है
क्यों आमा आदमी त्रस्त हो गया है  
बदला तो बदला क्या
जीवन के मायने बदल गए है

बहुत दुःख का विषय है
आज का व्यक्ति बदल सा गया है
भूल गया गाव की गलियों को
और वहा की मिट्ठी की खुशबु को
आदर व भाई चारे को
गाव अब सुना सुना सा रह गया है
संस्कार बचे ही नही
सब गायब सा हो गया है
बदला तो बदला क्या
संस्कृति बदल गई है

मानो या न मानो इन के पीछे
कही न कही हम सब ही तो है
बड़ी बड़ी डींगे हम ने हाकी
शहर की सुविधा की
हम ने दूर किया बच्चो को
ये बिज हम ने ही तो बोया है
पैसे के खातिर
बदला तो बदला क्या
रिश्ते बदल गए है

बचपन बदला
जवानी आगई
बुढ़ापा इंतजार कर रहा है
मोत की शैया बिछी हुई है
बदला तो बदला क्या
समय बदला

व्यक्ति बदला

व्यक्ति का रंग ढंग बदला

व्यक्ति की फितरत बदली

व्यक्ति की सोच बदल गई

सब कुछ बदला

किन्तु धर्म नहीं बदला

 धर्म न बदल है और न बदलेगा
धर्म का वर्चस्व हमेशा रहेगा

Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

  "जिनशासनाष्टक" रत्नात्रयमय जिनशासन ही महावीर का शासन है। क्या चिंता अध्रुव की तुझको, ध्रुव तेरा सिंहासन है ।।टेक॥ द्रव्यदृष्टि स...