भगवान क्या कुछ देता है
छोटी सी है तमन्ना मेरी मेरा काम करा दे
अगली क्लास दिला दे मुझ को पास करा दे
बैंक से लोन दिला दे मेरा महल बनवा दे
गर्मी दूर कर दे ए सी का इंतजाम करा दे
सोना चांदी का भाव गिरा दे मुझ को सोना चांदी
दिला दे
मेरा प्रमोशन करा दे मुझ को मोटर कार दिला दे
में फेसबुक चला सकु मुझ को इन्टरनेट दिला दे
में चाटिंग कर सकु मुझ को मोबाइल दिला दे
मेरी लाटरी का नंबर लगा दे मुझ को माला मॉल
बना दे
मेरे पास न भटके दुखों का साया मुझ को सुखी
बना दे
में राज करू मुल्क पर मुझ को डॉन बना दे
मेरे कुछ पल कटे पूजा-आराधना में फिर चाहे मेरी
जान लेले
ये महिमा है उस मनुष्य की
जो भिकारी बनकर दर-दर भटक रहा है
अपनी न समझी पर न जाने
मानो क्यों बहुत खुश हो रहा है
हे मुर्ख तु क्या जाने भगवान की महिमा
भगवान न कुछ देते है, न लेते है और ना वो कर्ता
है
ना तुम्हे शुभ असुभ की बोध है
ना तुम्हे मोहा-राग-देवश की चिंता है
ना तुम्हे कोई कर्म आते है और ना जाते है
ना तुम सुख के साथी हो, ना दुःख के साथी हो
ना तुम गलत देखते हो, ना गलत सुनते हो
ना गलत बोलते हो, ना कुछ दे सकते हो
तुम तो इस संसार के जाल से मुक्त हो गए हो
तुम तो सिर्फ अपने स्वरूप में ही लीन हो
तुम ने तो जो उपदेश दिया है मोक्ष मार्ग का
जिस को सुनकर और समझ कर
मेने यह निश्चय किया, तुम्हारे सामान बस बनना
और
अपनी आत्मा का कल्याण करना