Thursday, 29 December 2016

Digital India


जैसे सूरज की पहली किरण
अँधेरे को चीरती हुई
उजाला कर देती है जीवन में
करे दोस्तों काम कुछ ऐसे 
याद करे सारा हिंदुस्तान
बदल रहा है हिंदुस्तान
विकास है चारो और
जोड़ दिया गांव को शहर से
दे दिया स्मार्टफोन हाथो में
ये दौर है कंप्यूटर और लैपटॉप का 
कर दिया बिजी सबको ऑनलाइन
बदल गयी सब चाल
आगे है भारत हर क्षेत्र में
रुमर है चारो और
हिंदुस्तान डिजिटल हो रहा है।

क्या है डिजिटल इंडिया ???
क्या एक पहल है
क्या एक नारा है   
क्या एक स्लोगन है
क्या एक योजना है
क्या एक वादा है
क्या एक विचार है
क्या एक विरोध है
क्या फेसबुक का पोस्ट है
क्या व्हाट्सएप्प का मैसेज है    
इन सरासर अटकलों के मध्य
भारत की ये कल्पना
डिजिटल ड्रीम मानो
दस्तक दे रही है मुहाने पर

ये युग है डिजिटल का
आप मानो या न मानो
आप चाहो या न चाहो
आई क्रांति इन्टरनेट के युग में
युवा का मिला नया ज्ञान
मिली एक नई रहा, एक नई सोच  
मिली एक नई उड़ान, एक नई पहचान  
दे दी स्वतंत्रता युवा अभिव्यक्ति की
ये दायित्व है हमारा और सरकार का
ये डिजिटल की आंधी
गाँव-गाँव, नगर-नगर
घर-घर, युवाओं, और बच्चों  
के बीच प्रसारित हो
उद्देश्य है डिजिटल इंडिया का
देश हो पूरा डिजिटल
हो इकोन्मी कैशलेस
बढ़ेगा देश ई-गवर्नेंस से
डिजिटल होगा देश का जन-जन
देश आगे बढ़ेगा, देश आगे बढ़ेगा
चलो मिलकर बनाये इस देश को
डिजिटल इंडिया
काम करो कुछ ऐसा यारो

सलाम करे दुनिया हमें

Tuesday, 27 December 2016

Naye Saal Ki



नए साल की
पहली किरण
बेरंग निशा के
तिमिर को चीरती हुई
देदीप्यमान कर देगी  
जीवन के नविन सफर को

तेज होगई है धड़कन
मच गई है हलचल
चारो ओर है शोर ओ ग़ुल
उड़ गई है मेरी नींद
खोगया है चैन मेरा
वक्त बढ़ रहा है धीरे धीरे
दस्तक दी उसने दहलीज़ पे
आग़ाज़ हुआ नए साल का
अभिनंदन हे नए साल तुम्हारा

नए सवेरे का नए साल में 
शत-शत नमस्कार है 
नए युग का आगाज है 
ये नई सोच के साथ 
सफर पर नव्य पगडण्डी के
दृढ़ संकल्प नव्य ग्रहण करे 
ऊर्जा करो नव्य अभिगृहीत 
खुशी के नव्य रंग भरो जीवन में 
ज्ञान और विज्ञान से उन्नत करो
अंधश्रद्धा को निकाल फेको जड़ से 
पुनर्निर्माण करो भारत देश का 
धारण करो धर्म के संस्कार को 
बनाओ देश और समाज को उन्नत  
इच्छाओं के शीर्ष उड़ान पर 
परिपूर्ण हो हर कामना मेरी
हर ख़ुशी आपके कदम चूमे
हम तो यही दुआ करते है

नया साल आपका शुभ हो।









Monday, 26 December 2016

Naye Saal Me



नया सवेरा है, नयी किरण है 
नया दिन है, नयी मुस्कान है 
नया सफर है, नयी सोच है
नया जोश है, नयी उम्मीद है  
नया उत्साह है, नयी आशाए है 
नया विश्वास है, नयी खुशिया है
नया साल है,  नयी बहारें है 
जीवन का नया तेज है

नई खुशबू है, नई हवा है
नई उमंग है, नई तरंगे है 
नई चाह है, नई रहा है 
नई कल्पना है, नई पहल है 
नई हँसी है, नई शरारत है
नई खोजे है, नई धारणा है 
जीवन की नया प्रसंग है 

नए रंग में, नए गगन में  
नए रूप में, नए सौंदर्य में
नए दौर में, नए भविष्य में
नए युग में, नए समय में
नए साल में प्रवेश करते हैं

नए साल में नव्य पगडण्डी चलो 
नए साल में नव्य दृढ़ संकल्प करो
नए साल में नव्य रंग भरो जीवन में
नए साल में विश्वास करो स्वयं पर 
नए साल में धारण करो धर्म को 
नए साल में हर ख़ुशी कदम चूमे
नए साल में कामयाबी पीछे भागे 
यही दुआ करते है नए साल में




Friday, 23 December 2016

Saal Ja Raha Hai


मन उदास है साल जा रहा है    
कई लम्हे साथ छोड़ रहे है
कई ख़्वाहिशें दम तोड़ रही है
कई यादें रह रह कर आरही है
कई खुशियाँ छोड़े जा रहा हु
कई खुश है मुझसे
कई रूठो को मनाना है
कई यो को याद दिलाना है
कई इंतजार में हैं मेरे 
कई के इंतजार में हु
इस दिल की व्यथा किसे कहु 
उदास है दिल मेरा 
क्योकि यह साल चला जा रहा है..............

जैसे जैसे साल जा रहा है
प्यार बढ़ता जा रहा है
मोहब्बत बढती जा रही है
खुशिया मनो थम सी गई है 
दिल में न गिले शिकवे है
विश्वास बढ़ता जा रहा है  
आंख में सिर्फ नमी सी है
बस हस्त चला जा रहा हु 
यह साल चला जा रहा है..............
यह साल चला जा रहा है..............

कोई तो रोक्लो इसे 
कोई तो थाम लो वक्त को 
समय का चक्र बढ़ता जा रहा है
ये कैसा मोड है जिन्‍दगी 
वक्त बदल ता जा रहा है 
उम्मीद करते है नए साल में
बेहतर साबित करेंगे खुद को
बेहतर बना देंगे जिंदगी को
यह साल चला जा रहा है..............


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Man udas hai saal ja raha hai
kai lamhe sath chhod rahe hai
kai khwahishen dam tod rahi hai
kai yadein rah rah kar aa rahi hain
kai khushiyan chhode ja raha hu
kai khush hai mujhse
kai rootho ko manana hai
kaiyon ko yaad dilana hai
kai intezar men hain mere 
kai ke intezar men hu
is dil ki vyatha kise kahu 
udas hai dil mera 
kyoki yah saal chala ja raha hai..............

Jaise jaise saal ja raha hai
pyar badhta ja raha hai
mohabbat badhati ja rahi hai
khushiya mano tham si gai hai 
dil mein na gile shikve hai
vishwas badhta ja raha hai 
aankh men sirf nami si hai
bas hast chala ja raha hu 
yah saal chala ja raha hai..............
yah saal chala ja raha hai..............

Koi to roklo ise 
koi to thaam lo waqt ko 
samay ka chakr badhta ja raha hai
ye kaisa mod hai jin‍dgi 
waqt badal ta ja raha hai 
ummid karte hai naye saal mein
behatar saabit karenge khud ko
behatar bana denge jindagi ko
yah saal chala ja raha hai..............

Thursday, 22 December 2016

poochha nahin parindon se

Image result for परिंदों से....




लगी शाम ढलने
सुहानी है शाम
निकल रहा वक्त
गूंज रही किलकारी
आसियाने है खाली
परिंदो के इंतजार से
हद है प्रतीक्षा की…….
पूछा नहीं परिंदों से.......

कोई तो पूछो उनसे
कोई तो उन्हें कहो
कोई तो दिखाओ रास्ता
उनके आसियाने का
कही भटक न जाये
इन मेघो में……..
पूछा नहीं परिंदों से....

क्यों है बंजारो की तरह
क्यों नापते है दूरिया
इस नभ से उस नभ तक
ये समझते जहाँ इनका
ये रहते है अपनी धुन में
ये है अपनी ही मस्ती में
पूछा नहीं परिंदों से....

ना है तालीम उड़ानों की
ना है सीमा, ना है बंधन
ना पराया है कोई
ना घड़ी है करते कैसे
ना है जुगाड़ कल का 
ना डर है वक्त का
ना है कोई मज़हब इनका
पूछा नहीं परिंदों से....

कैसे समझते उच्चै आसमानो को
कैस समझते रिश्तो को
कैसे रहते हिल-मिलकर कर
कैसे जानते हवओ के रुख को
कैसे करते अभिव्यक्त भाषा में
कैसे जीते जग में
कोई तो पूछो उन परिंदों से................

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lagee shaam dhalane
suhaanee hai shaam
nikal raha vakt
goonj rahee kilakaaree
aasiyaane hai khaalee
parindo ke intajaar se
had hai prateeksha kee .......
poochha nahin parindon se ....

koee to poochho unase
koee to unhen kaho
koee to dikhao raasta
unake aasiyaane ka
kaheen timir na ho jaaye
kahee bhatak na jaaye
in megho mein ...... ..
poochha nahin parindon se ....

kyon hai banjaaro kee tarah
kyon naapate hai dooriya
is nabh se us nabh tak
ye samajhate jahaan inaka
ye rahate hai apanee dhun mein
ye hai apanee hee mastee mein
poochha nahin parindon se ....

na hai taaleem udaanon kee
na hai seema, na hai bandhan
na paraaya hai koee
na ghadee hai karate kaise
na hai jugaad kal ka
na dar ​​hai vakt ka
na hai koee mazahab inaka
poochha nahin parindon se ....

kaise samajhate uchchai aasamaano ko
kais samajhate rishto ko
kaise rahate hil-milakar kar
kaise jaanate havo ke rukh ko
kaise karate abhivyakt bhaasha mein
kaise jeete jag mein
koee to bata do aasiyaan inaka ................

koee to poochho un parindon se ................

Tuesday, 13 December 2016

Pairon Tale Zameen Hai???.....

पैरों तले ज़मीन है???...



सूरज की लाली
चिड़ियों की चहक
फूलो की सुगंध
हवा का झोका
नदी का बहना
यह नज़ारे मन मोहलाते है

फिर भी व्याकुल है मन
ना हाथ में गिल्ली-डंडा, ना सीस पाती 
ना कहानी कहने, ना सुने वाला 
ना खेलते कब्बडी,ना खोखो
ना रसि कुदते, ना जाते क्रीड़ावन
ना ज्ञान है भाषा का, ना संस्कृति का
ना धर्म है, ना शिष्टाचार
मानो संस्कार भी छूट से गए है
बचपन कही खो गया है
दीमक लग गई है उनकी विरासत में
आप मानो या ना मानो
पैरों तले ज़मीन खसकती जा रही है……….

बच्चे भटक गए है राह से
वो कर लेंगे आत्मसात 
मोबाइल, ऐप और इंटरनेट के फॉर्मूले
वो वंचित रहेंगे जिंदगी जीने से    
बैंक बैलेंस तो अथाह होगा
ना होंगे रिश्ते, ना होगी महक रिश्तो की
अभी भी समल जाओ
रोक्लो इस मायाजाल को……….
पैरों तले ज़मीन खसकती जा रही है……….

कर लो प्रतिज्ञा
ये उत्तरदायित्व है आपका 
रूबरू कराओ उनको उनकी विरासत से
देश के भावी खेवनहार है 
दे दो बचपन की महक उनको

पैरों तले ज़मीन खसकती जा रही है……….

Saturday, 10 December 2016

में आत्मा हु ???

में आत्मा हु ???





में आत्मा हु ???
में भी शरीर की कैद में हु...
छटपटा रही है आत्मा
मानो पकड़ बहुत मजबूत है 
पर निकल नहीं पाती 

माया की बेड़ियो में
रिश्तो के जंजाल में
मोहब्बत के फ़सानो से
मानो उसे निकल ने नहीं देती

सांसारिक  सुख-दुःख की कल्पना में
राग-द्वेष की आकुलता में
क्रोध-मान में जकड़ा हुआ है
वह परम विशुद्ध है
मानो वह निकल ना नहीं चाहता है

बहुत मुशकिल सवाल है...
में आत्मा हु ???
दिल में उलझता सवाल है ..
में आत्मा हु ???

जवाब है विश्वास करना नहीं चाहता
क्यों  नहीं  समझता 
"शरीर ज्ञेय है"
"आत्मा अनादी अनन्त है"

में नातो शरीर हु, नातो मन हु
में नातो इन्द्रिय हु, नातो पंचतत्व हु
में नातो मित्र हु, नातो रिश्तेदार हु
में सिर्फ और सिर्फ शुद्ध चेतन हु

ना मुझे वेर है, ना प्रेम है
ना मुझे मोह है, ना अभिमान है
ना मुझे मृत्यु का डर है. ना जन्म का
में सिर्फ और सिर्फ शुद्ध चेतन हु

में धर्म से, धन से, लालसा से पृथक हु 
में सभी बंधनो से स्वतंत्र हु
में सिर्फ और सिर्फ शुद्ध चेतन हु
आत्मा तो सिर्फ “ज्ञाता द्रष्टा” होती है


Jinshaasanashtak ("जिनशासनाष्टक")

  "जिनशासनाष्टक" रत्नात्रयमय जिनशासन ही महावीर का शासन है। क्या चिंता अध्रुव की तुझको, ध्रुव तेरा सिंहासन है ।।टेक॥ द्रव्यदृष्टि स...