Sunday, 14 February 2021

Bhakti Geet - भटकन तब तक भव में जारी

 भटकन तब तक भव में जारी 

 विषय - विषम विष को तुम त्यागो,
पी निज सम रस को भवि! जागो।
निज से निज का नाता जोड़ो,
परसे निज का नाता तोड़ो ।।
मिले न तब तक वह शिवनारी,
निज - स्तुति जब तक लगे न प्यारी ।।१।।


जो रति रखता कभी न परमें,
सुखका बनता घर वह पलमें ।
वितथ परिणमन के कारण जिय!,
न मिले तुझको शिव-ललना-प्रिय ।।
जप, तप तब तक ना सुखकारी,
निज स्तुति जब तक लगे न प्यारी ।।२।।

 
सज, धज निजको दश धर्मों से
छूटेगा झट अठ कर्मों से,
मैं तो चेतन अचेतन हीतन,
मिले शिव ललन, कर यों चिंतन । ।
भटकन तब तक भव में जारी,
निज - स्तुति जब तक लगे न प्यारी ।।३।।

 
अजर अमर तू निरंजन देव,
कर्ता धर्ता निजका सदैव ।।
अचल अमल अरु अरूप, अखंड,
चिन्मय जब है फिर क्यों घमंड?
‘विद्या' तब तक भव दुख भारी,
निज - स्तुति जब तक लगे न प्यारी ।।४।।

 

- महाकवि आचार्य विद्यासागर-- 

अब मैं मम मन्दिर में रहूँगा


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