Wednesday, 17 February 2021

Pakaudee - Class 1 NCERT

 

 दौड़ी-दौड़ी
आई पकौड़ी।

छुन छुन छुन छुन
तेल में नाची,
प्लेट में आ
शरमाई पकौड़ी।

दौड़ी-दौड़ी
आई पकौड़ी।

हाथ से उछली
मुँह में पहुँची,
पेट में जा
घबराई पकौड़ी।

दौड़ी-दौड़ी
आई पकौड़ी।
मेरे मन को
भाई पकौड़ी।

***सर्वेश्वरदयाल सक्सेना***

काव्यांशों की व्याख्या 

'पकौड़ी ’कविता सर्वेश्वर दयाल सक्सेना द्वारा रचित है। हर घर में पकौड़ी बनायीं जाती है और घर के लोग उसको बहुत चाव से कहते है। इस कविता में कवि ने बहुत ही दिलचस्प शब्दों में, गर्म पकौड़ी के तलने से लेकर उसे मुंह में जाने तक का वर्णन किया है। जब पकौड़ी को गर्म तेल में से निकला जाता है तो पकौड़ी दौड़ी-दौड़ी आती है और तो ऐसा लगता है की वह छुन छुन करके तेल में नाच रही है.

जब तले हुए पकौड़ी थाली में आते ही तो वह शर्मायी-सी दिखती है. जैसे ही वह हाथ में आती है वैसेही वह उछल कर सीधे पेट तक पुह्चती हैं। पेट में जाकर पकौड़ी घबरा सी  जाती है। कवि के मन को पकौड़ी बहुत भाती हैं।

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