आम की टोकरी
भरकर लाई टोकरी।
टोकरी में आम हैं,
नहीं बताती दाम है।
दिखा-दिखाकर टोकरी,
हमें बुलाती छोकरी।
हमको देती आम है,
नहीं बुलाती नाम है।
नाम नहीं अब पूछना,
हमें आम है चूसना।
काव्यांशों की व्याख्या
वह बच्ची सबको आम तो दे रही है, किन्तु अपना नाम नहीं बता रही है। कवि कहता है कि हमारा ध्यान रसीले आम को चूसने का है. इसलिए हमें बच्ची का नाम नहीं पूछना है.