कलम की काली स्याही से
हर रोज भरता हु इन पन्नो को
फिर भी खाली है पन्ने
हर रात उठता हु सौ कर
सुबह के इंतजार में
सोचता हु करूँगा सपने पुरे
एक नया आयाम दूंगा
फिर व्यस्त हो जाता हु
जिंदगी की राह मे
बस कट रही है जिंदगी
खुशी के इंतजार में
बेमानी सी है जिंदगी
में जिये जा रहा हु
हम खुश होते है तो
मनोहर है जिंदगी
हम दुखी होते है तो
दोजख है जिंदगी
मत जियो अधीनता में
जियो स्वाधीन ता से
जियो मुसकराहट से
जिंदगी आपकी है
तो जियो अपने ही अनदाज में
जिंदगी हाथ में रखी रेत के समान है
जो पल पल फिसल ती जा रही है
जिलो ये जिंदगी हस कर
और मुस्कुराकर
कब ये शाम ढल सी जाए
में दुआ मांगता हु
इस दिल की गहराही से
ये जिंदगी किसे के काम आ जाए
इस उमीद में जिये जारहा हु
यही जिंदगी का फलसफा है